Mandu Utsav : मंत्री ने कहा ‘मांडू उत्सव’ की गड़बड़ियों की जांच के आदेश दिए गए!’

जो विसंगतियां नजर आई, सबकी जांच होगी, जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई! 

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धार से छोटू शास्त्री की रिपोर्ट 

Dhar : लम्बे समय तक सुर्खियों में रहने वाले ‘मांडू उत्सव’ में हुए टेंडर घोटाले में पर्यटक मंत्री उषा ठाकुर ने जांच के आदेश दे दिए। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर आज धार में नर्मदा साहित्य मंथन भोज पर्व के कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई थी। इस दौरान मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि मैं मांडव उत्सव के कार्यक्रम में गई थी, मुझे बहुत सी शिकायतें मिली थी। इन सभी शिकायतों के जांच के आदेश दिए।

नगर पालिका के पार्षद आए थे उन्होंने जो बिंदु दिए उन्हें भी समाहित किया गया। मांडू उत्सव में जो ऑडियो-वीडियो दिखाया जाता है, उसका भी हम सुधार कर रहे है। जो विसंगतियां नजर आई है उसकी जांच करेंगे और जांच में जो भी दोषी होगा उस पर हम कार्रवाई करेंगे।

पांच दिवसीय मांडू उत्सव भले ही समाप्त हो गया हो, किंतु इवेंट कंपनी से जुड़े विवाद समाप्त नहीं हो रहे। बल्कि इससे बड़ी सरकार की उदारता इस कंपनी के प्रति क्या होगी कि मांडू उत्सव उस कंपनी ने संपादित कर दिया जिसे उसे करने के लिए ऑर्डरभी नहीं दिया गया था। कार्यक्रम की समाप्ति तक भी उक्त टेंडर आनलाइन प्रक्रिया मे पूर्ण नहीं बताया गया।

सरकार और विभाग इस इवेंट कंपनी पर कितनी मेहरबान है कि जो ऑनलाईन टेंडर हुए ये उसकी प्रकिया बगैर पूर्ण किए कंपनी को काम करने दिया गया। म.प्र. पर्यटन जारी बोर्ड द्वारा मांडव उत्सव के लिए 6 दिसम्बर को ऑनलाइन टेंडर जारी किया था जिसकी 15 दिसम्बर को अंतिम तारीख निधारित की गई थी दो कंपनियों ने इस टेंडर में भाग लिया था। ई-फेक्टर और लल्लूजी एंड संस ने टेंडर भरा था। किंतु शर्तों के आधार पर बड़ी चतुराई से विभाग के आला अधिकारियों ने ई फेक्टर को लाभ पहुचाने के नियत से 50% अंक प्रेजेंटेशन के लिए निर्धारित किए।

यह अंक इसलिए तय किए गए कि अधिकारियों की चहेती कंपनी को टेंडर दिया जा सके। उन्होंने ये 50% अंक अपनी चहेती ई-फेक्टर इवेंट कंपनी को दिए। पहली बार सरकारी टेंडर मे देखने में आया है कि कोई सरकारी विभाग किसी कंपनी को 70 प्रतिशत राशि कार्य के पहले एडवांस देने का प्रावधान नहीं रखा जाता किंतु इवेंट कंपनी को जमकर लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से टेंडर में यह उदार शर्त भी रख दी, ताकि चहेती इवेंट कंपनी को कार्य पूर्ण करने के पहले ही बड़ा अमाउंट मिल जाए।

यह अनोखी शर्त म.प्र. पर्यटन निगम ने रखने का दुसाहस किया अन्यथा कभी भी शासकीय स्तर पर ऐसी अनोखी शर्त नहीं रखी जाती। लेकिन, विभाग के कर्ताधर्ताओं को शासन के नियम से क्या लेना देना उन्हें तो अपनी चहेती ई-फेक्टर को लाभ जो पहुंचाना था।

इन अधिकरियों के मंसूबे कितने मजबूत थे कि विभाग की मंत्री उषा ठाकुर को भी गुमराह करने से नहीं हिचके! उन्हें भी विभाग के इस काले पीले की खबर नहीं लगने दी गई। जब वे उद्घाटन करने आई तो वहां के लोगों ने कंपनी की हठधर्मिता और मांडू उत्सव की सार्थकता पर सवाल उठाए। इस पर मंत्री ने यहा तक पत्रकारों से चर्चा मे कहा था कि मैंने  इवेंट कंपनी को डांटा है। वे यहां तक बोल गई थी कि छः दिन पहले ही कंपनी को आर्डर मिला। इसलिए परेशानी आ रही है। अगली बार हम टेंडर प्रक्रिया छः महीने पहले कर देंगे। लेकिन, मंत्री को यह भी नहीं मालूम है कि टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं अपनाई गई। विभाग ने अपनी चहेती कंपनी को काम दे दिया।