48 घंटे में ज्ञान से भर गई नाराज नागर के मन की गागर…

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48 घंटे में ज्ञान से भर गई नाराज नागर के मन की गागर…

अब नागर सिंह चौहान ने इस्तीफा देकर मंत्री पद छोड़ने और खाली विधायक रहने की जिद छोड़ दी है। गुरुपूर्णिमा पर वन एवं पर्यावरण विभाग छिनने से नाराज मंत्री नागर बेहद खफा थे और इतना रूठ गए थे कि खुद के मंत्री पद से इस्तीफा देने और पत्नी को सांसद पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। ऐसा लगा था कि मानो पूरा मध्यप्रदेश आदिवासी अपमान की आग में झुलस जाएगा और भाजपा कराह उठेगी। पर 48 घंटे में तस्वीर साफ हो गई। नागर एपीसोड की उम्र महज 48 घंटे ही रह सकी। रविवार यानि 21 जुलाई 2024 की रात नागर सिंह का चेहरा आक्रोश से तमतमा रहा था, तो मंगलवार यानि 23 जुलाई 2024 की रात नागर सिंह चौहान सीएम हाउस में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ बैठे खुलकर खिलखिला रहे थे। शायद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मिलकर नागर शाही अंदाज में अपनी जिम्मेदारी से संतुष्ट नजर आए और उनका मन, वन और पर्यावरण के बिना भी पूरी तरह से प्रकाशित नजर आया।
21 जुलाई को उनके इस्तीफा देने और खाली विधायक रहने का वीडियो चर्चा में रहा, तो दूसरे वीडियो में चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर आजाद नगर में  उपस्थित न रहने पर अलीराजपुर विधायक के रूप में पीड़ा जाहिर की। फिर ह्रदय परिवर्तन हुआ और बुद्धत्व को प्राप्त हुए नागर सिंह चौहान अब अनुसूचित जाति कल्याण के कर्तव्य का निर्वहन करने पर सहमत नजर आए। अब आंतरिक समझौता क्या हुआ है, यह नागर और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जाने लेकिन नागर एपीसोड खत्म होने पर यह तय हो गया है कि मध्यप्रदेश में आदिवासी सम्मान की गागर लबालब है। और पहली बार कोई आदिवासी नेता अनुसूचित जाति का कल्याण कर रिकॉर्ड बनाने को तैयार है। हो सकता है कि दिल्ली पहुंचकर शीर्ष नेतृत्व से मिलने के साथ ही सांसद पत्नी अनीता सिंह चौहान ने भी कुछ गुरु ज्ञान और वास्तविक सम्मान की बात कान में फूंकी हो और नागर की सोच ज्ञान के उच्चतम शिखर को पाकर धन्य हुई हो। और ज्ञान से मन की गागर भरकर नागर गुरु की शरण में दौड़ लगा गए।
इधर नागर के बहाने एक बार फिर महाकौशल के दिग्गज नेता अजय विश्नोई का दर्द छलक पड़ा। अजय विश्नोई ने जबलपुर में मीडियो से चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं का सौभाग्य है कि वह मंत्री बन रहे हैं और हमारा दुर्भाग्य है कि संगठन में सीनियर नेताओं को मौका नहीं दिया जा रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि नागर सिंह चौहान से विभाग वापस लेने मामला सीएम का अधिकार क्षेत्र है। इस मुद्दे पर मैं ज्यादा नहीं कहूंगा। बता दें कि अजय विश्नोई उन नेताओं में शामिल हैं जो लगातार अपनी पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। तो दूसरी तरफ नौ बार के भाजपा विधायक और पार्टी विचारधारा को समर्पित पंडित गोपाल भार्गव भी फिलहाल तो मन की बात अपने मन में ही रखने को मजबूर हैं। इस मामले में खुद विष्णु दत्त शर्मा ने एक मिसाल पेश की है। उनका नाम केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए खूब जोर-शोर से चला। पर जब केंद्रीय मंत्रिमंडल की सूची में उनका नाम शामिल नहीं था, तब भी उनके चेहरे पर किसी तरह का असंतोष नजर नहीं आया और उन्होंने यही समझाइश दी कि पार्टी सबके साथ समय आने पर न्याय करती है। शायद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा इसीलिए नागर सिंह चौहान और सभी असंतुष्टों को संतुष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल भी हो पाते हैं।
तो अब नागर भी खुश हैं और रामनिवास रावत भी वन और पर्यावरण संग गृह की चिंता से मुक्त हो चुके हैं। 48 घंटे में नाराज नागर के मन की गागर ज्ञान से भर गई। अब नागर आजाद नगर जाकर चंद्रशेखर आजाद के त्याग और समर्पण को नमन कर सकते हैं। और रामनिवास रावत मां के नाम एक पेड़ और पितरों के नाम दूसरा पेड़ लगाने को मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता को प्रेरित करने को आजाद हैं…।