दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगाएंगे 16 नगर निगम…

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पंचायत-नगरीय निकाय चुनावों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण चुनाव 16 नगर निगम के महापौर का है। जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष जहां अप्रत्यक्ष तौर पर चुने जाने हैं, तो 16 नगर निगम के महापौर का चुनाव सीधे मतदाता करेंगे। भोपाल, इंदौर, देवास, जबलपुर, कटनी, छिंदवाड़ा, ग्वालियर,मुरैना, उज्जैन, रतलाम, खंडवा, बुरहानपुर, सागर, सतना, रीवा और सिंगरौली नगर निगम के मेयर के चुनाव में भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी आमने-सामने होंगे। अभी प्रशासक नियुक्त होने से पहले तक यह सभी महापौर की कुर्सियां कमल दल के चेहरों से सुशोभित हो रहीं थीं। जब चुनाव होने थे, तब कांग्रेस ने मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष कराने का फैसला किया था। लेकिन भाजपा को मैदान में आमने-सामने टकराना ज्यादा भरोसेमंद लगता है।
सो मेयर पद पर आरक्षण के पुराने और प्रत्यक्ष चुनाव के नए फैसले संग भाजपा सरकार ने कांग्रेस को सीधी चुनौती दी है। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस की प्रतिष्ठा सीधी दाव पर लगी है। भाजपा को अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती से जूझना है। वहीं कांग्रेस को खाता खोलने की लड़ाई लड़ना है। यदि एक भी मेयर कांग्रेस का बन गया, तब भी बड़ी उपलब्धि। अगर एक भी नहीं जीत पाए, तब भी कोई नुकसान नहीं। सीधा आरोप जड़कर कि सत्ताधारी दल ने पुलिस-प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग किया है…काम चल जाएगा। इधर भाजपा को सभी नगर निगम महापौर पद पर कब्जा यथावत रखने से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा, क्योंकि सरकार-संगठन को अपना वजन कायम जो रखना है।
और अब हर परिणाम को 2023 विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जाना है, सो असल प्रतिष्ठा कायम रखने की बड़ी चुनौती भाजपा के सामने है। तो कांग्रेस को प्रतिष्ठा गंवाना नहीं है, बल्कि कुछ भी मिला…तो कमाना ही कमाना है। पर दोनों दलों की प्रतिष्ठा दाव पर तो लगेगी ही, क्योंकि परिणामों का आकलन मिशन-2023 से जोड़कर जो होना है। कांग्रेस ने शायद अपने मेयर प्रत्याशी घोषित करने में इसीलिए देर नहीं की, ताकि प्रत्याशी पूरा समय पाकर अपनी जीत की संभावनाओं को बेहतर करने में कोई कसर बाकी न रखें।
भोपाल ओबीसी महिला, इंदौर अनारक्षित, जबलपुर अनारक्षित, ग्वालियर सामान्य (महिला), उज्जैन अनुसूचित जाति, सागर-सामान्य (महिला), मुरैना अनुसूचित जाति (महिला), छिंदवाड़ा अनुसूचित जनजाति, सतना ओबीसी, रतलाम ओबीसी, खंडवा ओबीसी(महिला), बुरहानपुर सामान्य (महिला), देवास सामान्य (महिला), कटनी सामान्य (महिला), रीवा अनारक्षित और सिंगरौली अनारक्षित है। प्रदेश के कुल मतदाता 1 करोड़ 53 लाख मतदाता नगरीय निकाय चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर यह तय करेंगे कि प्रतिष्ठा का ताज भाजपा को सौंपना है या फिर कांग्रेस को भी प्रतिष्ठा का हकदार बनाकर भाजपा को मिशन-2023 के लिए ज्यादा चुनौती से जूझने के लिए संकेत देना है।
प्रत्याशी चयन में कांग्रेस ने बाजी मार ली है। भोपाल से पुराना विश्वसनीय चेहरा विभा पटेल को मैदान में उतारा गया है। इंदौर से विधायक संजय शुक्ला, तराना विधायक महेश परमार को उज्जैन महापौर उम्मीदवार तय दिया है। सागर नगर निगम से सुनील निधि जैन, जबलपुर में शहर कांग्रेस अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह, रीवा नगर निगम के लिए अजय मिश्रा का नाम हैं। तो कांग्रेस प्रत्याशी समय रहते अपनी जीत के समीकरण बनाकर चौंका दें, नाथ की उम्मीद तो यही होगी।
मेयर के चुनाव परिणाम यह संकेत देंगे कि विधानसभा चुनाव के करीब 15 माह पहले नगर के मतदाता का रुख क्या है? इसका सकारात्मक भाव यह है कि पंद्रह माह हैं मतदाताओं को संतुष्ट करने के लिए, ताकि मिशन-2023 में निराश होने की नौबत न आए। तो दूसरा भाव यह है कि मतदाताओं ने जिसको जनादेश दिया, वही आगे भी राज करेगा। वैसे भाजपा को प्रतिष्ठा कायम रखने की लड़ाई लड़नी है, तो कांग्रेस को प्रतिष्ठा हासिल करने की। समय करीब एक महीने का है। भाजपा में सरकार-संगठन दोनों जोर लगाएंगे तो कांग्रेस में जीत के सब साझेदार होंगे और हार के केवल कमलनाथ।