Nitish Kumar Politics : आखिर क्यों नीतीश कुमार को ‘पलटू चाचा’ की उपाधि मिली!

चार बार NDA और RJD में पलटी मारकर CM की कुर्सी बचाकर रखी

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Patna : नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति में ‘पलटू चाचा’ कहा जाता है! आज केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने भी इसी शब्द को दोहराया! देखा जाए तो ये गलत भी नहीं है। नीतीश कुमार ने NDA और RJD के साथ सुविधाजनक स्थिति में दोस्ती की और जब बात नहीं बनी, तो तोड़ दी।

ये पहली बार नहीं कि नीतीश पलटे हैं। 2013 में नरेंद्र मोदी को PM उम्मीदवार बनाने के खिलाफ नीतीश NDA से अलग होकर 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। 2015 में उन्होंने लालू यादव के साथ गठबंधन किया, पर ये सरकार 20 महीने ही चल पाई। RJD से नाता तोड़कर नीतीश ने फिर NDA का हाथ थामा और आज फिर NDA का साथ छोड़कर RJD से जोड़ी बना ली।

बिहार की राजनीति के पन्ने पलटें तो नजर आता है कि नीतीश कुमार सबसे अविश्वसनीय नेताओं में सबसे अव्वल हैं। 1994 में नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी लालू यादव का साथ छोड़कर लोगों को चौंका दिया था। जनता दल से किनारा करते हुए नीतीश ने जॉर्ज फ़र्नान्डिस के साथ मिलकर ‘समता पार्टी’ बनाई थी। 1995 के बिहार विधानसभा चुनावों में वे लालू के विरोध में उतरे, लेकिन चुनाव में बुरी तरह से उनकी हार हुई।

1996 में बिहार में कमजोर मानी जाने वाली पार्टी बीजेपी से उन्होंने हाथ मिलाया। बीजेपी और समता पार्टी का ये गठबंधन अगले 17 सालों तक चला। इस बीच साल 2003 में समता पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) बन गई। JDU ने बीजेपी का दामन थामे रखा और साल 2005 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की। इसके बाद साल 2013 तक दोनों ने साथ में सरकार चलाई।

लोकसभा चुनाव (2014) के लिए जब नरेंद्र मोदी को PM पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश कुमार को यह रास नहीं आया। उन्होंने बीजेपी से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया। नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार के वैचारिक मतभेद पुराने रहे हैं। RJD के सहयोग से सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी सरकार के मंत्री और दलित नेता जीतनराम मांझी को कुर्सी सौंप दी। वे खुद बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की तैयारी में जुट गए।

लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी से पटखनी खा चुके नीतीश कुमार ने साल 2015 में पुराने सहयोगी लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में RJD ने JDU से ज्यादा सीट लेकर आई। फिर भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री व बड़े बेटे तेजप्रताप यादव स्वास्थ्य मंत्री बने।

20 महीने तक दो पुराने साथियों की सरकार ठीक से चलती रही। लेकिन, 2017 में दोनों पार्टियों में खटपट शुरू हुई। जुलाई तक इस खटपट ने गंभीर रूप ले लिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योजनाबद्ध तरीके से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा में तभी बीजेपी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी थी, इसलिए बीजेपी ने मध्यावधि चुनाव से इंकार करते हुए पुराने सहयोगी को समर्थन देने का निर्णय लिया और नीतीश कुमार फिर एक बार मुख्यमंत्री बन गए। सत्ता पलट का ये पूरा घटनाक्रम नाटकीय तरीके से 15 घंटे के भीतर हुआ था। अभी भी लगभग वही स्थितियां बनी!