इंदौर। बाणगंगा में अमित यादव, उनकी पत्नी टीना यादव, 3 वर्ष की बेटी याना और ढाई साल के बेटे दिव्यांश के शव मिले। यह सामूहिक आत्महत्या का मामला है। अमित ने सबकी हत्या करने के बाद खुद आत्महत्या कर ली। इस सामूहिक आत्महत्या का कारण लोन की किश्तें नहीं चुका पाने से होने वाला सामाजिक अपमान है!
पड़ोसी और मकान मालिक केदारनाथ ने बताया कि अमित यादव सागर का रहने वाला था। जिस कमरे में उनका शव मिला उसके ठीक सामने उनका ससुराल है। अमित यादव और उनका परिवार सोने के लिए इस कमरे पर आता था। केदारनाथ ने बताया कि अमित की मां का फोन आया था। उन्होंने बताया कि हमें बहुत देर से फोन नहीं उठा रहे, तब पता चला।
जाकर देखा तो दरवाजा अंदर से बंद था। खटखटाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी, जहां चारों के शव मिले। पत्नी और बच्चों के शव जमीन पर पड़े थे। वहीं पति फंदे पर झूलता मिला। युवक के हाथ पीछे की ओर से बंधे हुए थे।
सामूहिक आत्महत्या का कारण ऑनलाइन ऐप से लोन लेकर उसकी किश्तें न चुका पाना बताया गया है। इस नौकरीपेशा को लोन इतना भारी पड़ा कि उसने पहले बच्चों, फिर पत्नी और आखिरी में अपनी जान दे दी। पेशे से इंजीनियर अमित यादव ने बच्चों व पत्नी को मारने और खुद आत्महत्या करने से पहले दो पेज का सुसाइड नोट लिखा। उसने बताया कि वह अपनी मां और छोटे भाई से बहुत प्यार करता था।
सागर से इंदौर आकर टेलीकॉम कंपनी में काम कर रहे अमित यादव ने मंगलवार को पहले अपनी तीन साल की बेटी, डेढ़ साल के बेटे और पत्नी को जहर देकर उनकी जान ले ली, उनकी मौत की पुष्टि होते ही वह खुद भी मुंह पर कपड़ा बांधकर फंदे पर झूल गया। अमित पर करीब तीन लाख का कर्ज था। सुसाइड नोट में उसने यह भी लिखा कि मरने के बाद लोन चुकाने की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए कोई भी लोन की किश्तें जमा न करें।
मैं अमित यादव अपने पूरे होश में यह पत्र लिख रहा हूं। जीने की इच्छा मेरी भी है पर मेरे हालात अब ऐसे नहीं रहे। आदमी मैं बुरा नहीं हूं। इसमें किसी की कोई गलती नहीं है, मेरी ही है। मैंने कई ऑनलाइन ऐप से लोन ले रखा है। जैसे True Balance, Mobi Pocket, Money View, Smart Coin, Rufilo पर मैं लोन नहीं भर पा रहा हूं। इज्जत के डर से यह कदम उठा रहा हूं। कृपा कर पुलिस मेरे परिवार जैसे मां-बाप, सास-ससुर को परेशान न करें। मैं ही दोषी हूं।
मम्मी मैं जा रहा हूं
एक विशेष बात मेरे परिवार को बता दें कि लोन पैन कार्ड का होता है। अगर पेन कार्ड धारक मर जाता है तो लोन का कोई अस्तित्व नहीं रहता। मेरा लोन किसी को भरने की जरूरत नहीं है। इसमें कुछ और लोगों के बारे में कहना चाहता हूं। मैं मेरे भाई और माता-पिता से बहुत प्यार करता हूं। आपस में घर वाले नहीं लड़े यह मेरी आखिरी इच्छा है। यह पत्र मेरे घरवालों को अवश्य पढ़ा देवें। मम्मी मैं जा रहा हूं …।
बैंक अकाउंट में 850 रुपए
मेरे बैंक अकाउंट में करीब 850 रु. है। मैं अपनी इच्छा से इसे मेरे भाई और दोस्त जिसने कदम-कदम पर मेरा साथ दिया उसे ट्रांसफर कर रहा हूं। डिप्रेशन बहुत है और अब यह सहन नहीं होता। मुझे माता-पिता बहुत अच्छे मिले। सास-ससुर भी अच्छे मिले हैं, मैं ही खराब था। कृपया आपस में न लड़ें, इससे मेरी आत्मा को दुख होगा।
मैं वापस आऊंगा भाई
अपने छोटे भाई के लिए लिखा- मैं वापस आऊंगा भाई…। तू बहुत बड़ा आदमी बने यही मेरी तमन्ना है। मेरी बॉडी को एक बार हंसकर जरूर देख लेना। जिंदगी की जंग हार गए हैं। प्लीज… इसे मेरे घर वालों को जरूर दिखाएं। अंत में लिखा- ‘मौत सिर्फ शरीर की होती है…।’