Bank Saved from Cyber Fraud : बैंक स्टाफ की सतर्कता ने बुजुर्ग डॉक्टर को साइबर ठगी से बचाया, जानिए, फिर क्या हुआ!

बैंक ने पुलिस को बुलाया, डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट की असलियत भी बताई!

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Bank Saved from Cyber Fraud : बैंक स्टाफ की सतर्कता ने बुजुर्ग डॉक्टर को साइबर ठगी से बचाया, जानिए, फिर क्या हुआ!

Varanasi : बैंक वालों की सजगता से एक बुजुर्ग डॉक्टर साइबर ठगों के हाथों अपनी जीवन भर की कमाई बचाने में सफल रहा। उसे साइबर ठगों ने धमकाकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया था और अपने बताए बैंक खातों में पैसे डालने को कहा। वह डॉक्टर जब अपनी एफ़डी तुड़वाने बैंक पहुंचा तो बैंक स्टाफ को शक हुआ। उन्होंने पुलिस को बुलाकर पूरे मामले को समझा और इस तरह यह डॉक्टर एक बड़ी साइबर ठगी से बच गए।

जानकारी के मुताबिक, साइबर ठगों ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से रिटायर हार्ट स्पेशलिस्ट प्रो पीआर गुप्ता को 24 घंटे से अधिक समय तक डिजिटल अरेस्ट रखा। बेटी और उनको गिरफ्तार करने का डर दिखाकर उनसे अपनी बातें मनवाते रहे। लेकिन, बैंककर्मियों व पुलिस की सतर्कता से उनके रुपए ठगों के बैंक खातों तक जाने से बच गए।

 

साइबर ठगी का यह है मामला

वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र के रश्मिनगर कॉलोनी के डॉक्टर गुप्ता ने थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्र को बताया कि बीते मंगलवार की सुबह करीब 10 बजे उनके मोबाइल पर फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया। कहा कि उनकी डॉक्टर बेटी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है, उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो रहा है। उसके साथ ही कई और युवक-युवतियां भी शामिल हैं। उसने बेटी को बचाने के लिए रुपए की मांग की।

धमकाया कि रुपये नहीं देने पर बेटी के साथ उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा और जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे। इसके बाद डॉक्टर के पास कई बार फोन आए। फोन करने वाले पुलिस अधिकारी बनकर अमेरिका में उनकी डॉक्टर बेटी और उनके बीएचयू व लंका स्थित तीन बैंक खातों की जानकारी लेने लगे।

उन्होंने डॉक्टर को एक कमरे में बंद रहने और फोन कॉल के बारे में किसी को न बताने के लिए कहा। डॉ पीआर गुप्ता साइबर ठगों की बातों से बुरी तरह से भयभीत रहे। उनके कहने पर रुपयों को साइबर ठगों के बताए बैंक खाते में ट्रांसफर करने के लिए लंका स्थित एचडीएफसी बैंक पहुंचे।

घबराहट से बैंक कर्मियों को शंका हुई

घबराए हुए डॉक्टर ने बैंककर्मी से अपना फिक्स डिपोजिट तोड़कर रुपए बैंक खाते में डालने को कहा। बैंककर्मी ने बड़ी रकम का फिक्स डिपाजिट तोड़ने का कारण पूछा तो वे नाराज हो गए। इसकी जानकारी बैंक मैनेजर को हुई, तो उन्होंने भी डॉक्टर से बात की। लेकिन, उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। इस पर बैंककर्मियों को संदेह हुआ और इसकी सूचना लंका थाना प्रभारी को दी।

डॉक्टर पुलिस को बताने से भी बचते रहे 

लंका थाना प्रभारी ने बैंक में डॉ पीआर गुप्ता से बात की, तब भी वह कुछ बताने को तैयार नहीं हुए। बार-बार अपने रुपयों की मांग करते रहे। उन्हें थाने लाकर समझाया गया तो उनका डर खत्म हुआ। उन्होंने अपने साथ हुई घटना की जानकारी दी। बताया कि पुलिस अधिकारी बनकर बात करने वाले फोन से लगातार उनकी गतिविधियों की जानकारी ले रहे हैं। इस पर लंका थाना प्रभारी ने साइबर ठगों के नंबर पर बात की, जिसके बाद से वह नंबर बंद हो गए। जिन नंबरों से डॉक्टर को फोन आ रहे थे वह आंध्र प्रदेश के हैं।