Bharat Mata Ki Jay : कर्नाटक हाई कोर्ट ने ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने वाले 5 पर FIR रद्द की, कहा कि इससे तो सद्भाव ही बढ़ेगा!

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Bharat Mata Ki Jay : कर्नाटक हाई कोर्ट ने ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने वाले 5 पर FIR रद्द की, कहा कि इससे तो सद्भाव ही बढ़ेगा!

इस नारे को धर्मों और समूहों के बीच वैमनस्यता या शत्रुता बढ़ाने वाला नहीं माना जा सकता!

Bengluru : कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक मामले में पांच याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध दायर एफआईआर केस रद्द करते हुए कहा कि भारत माता की जय के नारे से सिर्फ सद्भाव बढ़ता है कभी वैमनस्य नहीं फैलता। साथ ही कोर्ट ने आईपीसी की धारा-153ए के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई। कहा कि इस नारे को धर्मों के बीच वैमनस्य बढ़ने वाला नहीं माना जा सकता। अदालत ने विभिन्न धर्मों और समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने वाले भाषण या गतिविधि से संबंधित आईपीसी की धारा-153ए के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए इसमें व कुछ और धाराओं में पांच लोगों के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी।

हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में जांच जारी रखने की इजाजत का मतलब प्रथम दृष्टया भारत माता की जय के नारे लगाने के मामले में जांच की अनुमति देना होगा। जबकि, इस नारे को किसी भी तरह धर्मों और समूहों के बीच वैमनस्यता या शत्रुता बढ़ाने वाला नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने 20 सितंबर को दिए आदेश में धारा-153ए की व्याख्या वाले सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व फैसलों का हवाला दिया। कहा कि मौजूदा मामला इस धारा के दुरुपयोग का अच्छा उदाहरण है।

आखिर क्या था ये मामला

मामले के मुताबिक, केस रद्द कराने की मांग लेकर हाई कोर्ट पहुंचे पांच याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 9 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ लेने के बाद रात 8.45 से 9.15 के बीच हरीश, नंद कुमार, सुभाष और किशन कुमार समारोह से लौट रहे थे। जब वे दक्षिण कन्नड़ जिले की उल्लाल तालुका में बोलीयार ग्राम के समादान बार पहुंचे तो 25 लोगों ने उन पर हमला कर दिया, कहा कि वे भारत माता की जय के नारे कैसे लगा रहे हैं। उन पर चाकू से भी वार किया गया।

उसी रात 11 बजे 23 लोगों के विरुद्ध घटना की एफआईआर दर्ज कराई गई। चोटों के कारण वे लोग अस्पताल गए और पुलिस ने रात 12 बजे वहीं उनका बयान दर्ज किया। अगले दिन सुबह पीके अब्दुल्ला नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा कि याचिकाकर्ता सुरेश, विनय कुमार, सुभाष, रंजन और धनंजय ने उसे धमकी दी और कहा कि वह देश छोड़ दे।

पुलिस ने केस दर्ज किया था

पुलिस ने पांचों याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध आईपीसी की धारा 143, 147, 148, 153ए, 504, 506 और 149 में केस दर्ज कर लिया। शिकायतकर्ता ने स्वयं को मस्जिद का प्रेसीडेंट बताया था। यही केस रद्द कराने याचिकाकर्ता हाई कोर्ट पहुंचे थे। उनके वकील की दलील थी कि वे लोग ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे और प्रधानमंत्री की प्रशंसा कर रहे थे। ये बात कुछ लोगों को बर्दाश्त नहीं हुई।

दूसरे दिन एक अन्य व्यक्ति, जो उस घटना में शामिल भी नहीं था, उसने उन पर केस दर्ज करा दिया। वहीं, सरकारी वकील ने केस रद्द करने का जोरदार विरोध किया, लेकिन हाई कोर्ट ने केस रद्द करते हुए कहा कि यह मामला काउंटर ब्लास्ट का लगता है। अगर शिकायतकर्ता को धमकी दी गई थी तो उसी रात शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई। जबकि याचिकाकर्ताओं ने उसी रात रिपोर्ट दर्ज कराई थी और शिकायत में मिनट दर मिनट का ब्योरा है।