सीतामऊ विरासत को समेटे डॉ दुबे की पुस्तक का हुआ विमोचन

तिहास - साहित्य और संस्कृति का समागम

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सीतामऊ विरासत को समेटे डॉ दुबे की पुस्तक का हुआ विमोचन

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। जिले के सीतामऊ की साहित्यिक परम्परा को आगे बढाने के प्रयास में सीतामऊ क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य नागरिक साक्षी बने। अवसर था छोटी काशी सीतामऊ पर केन्द्रित “लौटा मन अतीत की ओर” पुस्तक के विमोचन का।

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सीतामऊ के पैलेस गार्डन परिसर में विमोचन समारोह आयोजित हुआ।
इस कृति में 1965 से 1975 बीच सीतामऊ की भौगोलिक स्थिति, ऋतु परिर्वतन, तीज त्यौहार के महत्व व कहावतों को समेटा गया है।
विशेष अतिथि इतिहासकार एवं पुराविद पण्डित कैलाशचन्द्र पाण्डेय, ने अपने उद्बोधन में कहा कि मालवा को समर्पित राज्यसभा सांसद रहे महाराजकुमार डा. रघुवीरसिंह के योगदान को याद करते हुए उल्लेख किया कि श्री दुबे परिवार के पितृपुरुष वरेण्य विद्वान पण्डित किशनलाल दुबे ने मान प्रकाश का संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद किया उनके सुपुत्र द्वय भी साहित्य साधना में जुटे है। डॉ. भोलेश्वर दुबे, की कृति “लौटा मन अतोत की ओर” जो एक एतिहासिक नगर छोटी काशी सीतामऊ के प्रति समर्पित है यह कृति इतिहास के अध्ययन को आगे बढाने में सहायक होगी।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विक्रमसिंह भाटी, निदेशक नटनागर शोध संस्थान ने संस्मरण और डायरी लेखन का इतिहास लेखन में महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा कि यह पुस्तक लौटा मन अतीत की ओर भी सीतामऊ के इतिहास का महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

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श्री भुवनेश्वरसिंह दीपाखेड़ा ने मालवी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे अपनाने पर जोर दिया इसकी मिठास और इससे बढने वाली अपनत्व की भावना की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, श्री अनिल पटवा ने इस पुस्तक के आध्यात्मिक और दार्शनिक पक्ष को बहुत सपष्ट रूप से प्रस्तुत किया।
कार्यकम के प्रारंभ में श्री अमरसिंह कुशवाह ने दुबे परिवार का सीतामऊ की शिक्षा में योगदान पर उदबोधन दिया। पुस्तक के लेखक डॉ. भोलेश्वर दुबे ने रोचक तरीके से उस काल के विविध प्रसंग प्रस्तुत किए।

संचालन पूर्व शिक्षक श्री गोविंद सांवरा ने बड़े उत्साह के साथ प्रभावी संचालन किया। कार्यकम में उपस्थित सुश्री अर्चना व्यास सक्रिय सदस्य व पत्रकारगण के अतिरिक्त इस्टेट मैनेजर श्री रवीन्द्रसिंह राठौर, डॉ. राजेन्द्र चौहान, श्री विरेन्द्रसिंह राठौर, मोहनसिंह भंसाली रामेश्वर जामलिया, श्री भूपेन्द्रसिंह राजगुरू, श्री ओमसिंह भाटी, डॉ. शिवसिंह भाटी श्री कष्णसिंह राजगुरू, श्री सुरेन्द्र व्यास तथा सीतामऊ श्रीराम विद्यालय के पूर्व छात्र भी उपस्थित रहे। अंत में श्री गौरीशंकर दुबे ने आभार व्यक्त किया.
इस अवसर पर साहित्यकार कवि लेखक सुधीजनों की उपस्थिति रही।