Judgement in Vyapam Case : व्यापमं कांड पर सीबीआई का फैसला, 10 दोषियों को 3 साल की कठोर सजा, जुर्माना भी लगाया!      

यह फैसला वर्ष 2009 की पीएमटी परीक्षा से जुड़ा!

389

Judgement in Vyapam Case : व्यापमं कांड पर सीबीआई का फैसला, 10 दोषियों को 3 साल की कठोर सजा, जुर्माना भी लगाया!    

Bhopal : देश के सबसे बड़े चयन-भर्ती घोटाले वाले व्यापमं कांड पर सीबीआई का बड़ा फैसला आया। सीबीआई की एक विशेष कोर्ट ने व्यापमं के जरिये हुए घोटाले में एमबीबीएस में फर्जी दाखिला पाने वाले 10 दोषियों को 3 साल की कठोर सजा सुनाई है। साथ ही इनपर 16000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला वर्ष 2009 की पीएमटी परीक्षा से जुड़ा है। तब व्यापमं के माध्यम से आयोजित परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थियों और सॉल्वरों की मदद से फर्जी तरीके से प्रवेश दिलाने की साजिश रची गई थी। सीबीआई की तरफ से व्यापमं मामलों के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश एवं 18वें अपर सत्र न्यायाधीश, भोपाल की अदालत ने यह सजा सुनाई है।

इन आरोपियों को मिली सजा

जिन्हें 10-10 वर्ष की सजा सुनाई गई है उनमें चार परीक्षार्थी- विकास सिंह, कपिल पर्टे, दिलीप चौहान और प्रवीण कुमार शामिल हैं। जबकि एक बिचौलिया सत्येंद्र सिंह को भी सजा हुई है। सजा पाने वालों में 5 नकली परीक्षार्थी (सॉल्वर) नरेंद्र कुमार, अवधेश कुमार, रमेश कुमार, प्रीतेश सिंह और शिव करण साहू शामिल हैं।

 

यह मामला 16 साल पुराना 

व्यापमं कांड का यह मामला वर्ष 2009 में पीएमटी परीक्षा में फर्जीवाड़े से संबंधित है। इसके तहत गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में 2006 से 2012 के बीच गलत तरीके से एमबीबीएस में प्रवेश कराया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के 9 जुलाई 2015 के आदेश के तहत सीबीआई ने इस केस को फिर से दर्ज करके जांच नए सिरे से शुरू की थी। जांच के दौरान सभी नकली परीक्षार्थियों की पहचान की गई।

प्रमाण ऐसे जुटाए गए

सीबीआई अफसरों ने बड़ी बारीकी से जांच की। हस्तलेख, अंगूठे के निशान और अन्य वैज्ञानिक सबूतों के लिए सीएफएसएल यानि सेंट्रल फारेंसिक साइंस लेबोरेट्री से रिपोर्ट प्राप्त की और दो पूरक आरोपपत्र (चार्जशीट) दाख़िल किए। इसके बाद पहली चार्जशीट (31 जनवरी 2019) में 8 अभियुक्तों को नामजद किया गया था। वहीं, दूसरी चार्जशीट (19 दिसंबर 2019) में दो अन्य इम्पर्सोनेटरों को शामिल किया गया।