Miracle of Mother Goddess : मां बगलामुखी ने अपनी भक्त को कुछ ऐसे दरबार में बुलाया, 9 दिन रोक लिया!

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Miracle of Mother Goddess : मां बगलामुखी ने अपनी भक्त को कुछ ऐसे दरबार में बुलाया, 9 दिन रोक लिया!

कोलकाता की ट्रेनी पायलट का मन ऐसा बदला कि पूरी नवरात्रि वहीं बिता दी!

Agar Malwa : भगवान जब अपने भक्त को बुलाते है, तो वे ऐसी स्थितियां निर्मित करते हैं कि भक्त खींचा चला आता है। भगवान भक्त के मन में बसकर ऐसी भावना जगाते कि उसका भगवान में मन रम जाता है। कुछ ऐसी ही घटना प्रसिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ मां बगलामुखी मंदिर में हुई।

कोलकाता की ट्रेनी पायलट संयोग से माता के मंदिर पहुंच गई। उसे जाना था उज्जैन के बस स्टैंड नानाखेड़ा, लेकिन वह नलखेड़ा पहुंच गईं। फिर वह मां बगलामुखी की पूजा और सेवा में ऐसी रम गईं कि पूरी नवरात्रि के 9 दिन वहीं भक्ति में लीन रही।

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कोलकाता निवासी एक ट्रेनी पायलेट कोमल ने बताया कि वह बीते दिनों अपनी मां के साथ उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आई थी। दर्शन के बाद वापस उज्जैन के नानाखेड़ा में स्थित अपने होटल में लौटने के लिए टैक्सी में बैठी। टैक्सी वाले से गलती से नानाखेड़ा जाने का बोलने की बजाए मुंह से नलखेड़ा निकल गया। नलखेड़ा सुनकर टैक्सी वाले ने बताया कि वह तो 100 किमी दूर है और वहां प्रसिद्ध मां बगलामुखी माता का मंदिर स्थित है। इसके बाद वो ट्रेनी पायलेट अचानक उज्जैन के नानाखेड़ा की जगह नलखेड़ा पहुंच गई और माता की भक्ति में रम गई।

आगर मालवा जिले का प्रसिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ मां बगलामुखी मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है। भक्तों का मानना है कि सभी मनोकामनाओ की पूर्ति यहां होती है, दुखों का निवारण यहां होता है। मां सभी को बुलाती तो भक्ति के आगे सीमाएं छोटी पड़ जाती है। इस पांडव कालीन मंदिर से जुड़ा आस्था का अनोखा केंद्र है।

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कोमल ने बताया कि वह बचपन से धार्मिक प्रवत्ति की रही है। 2 दिन बाद नवरात्रि शुरू होने वाली थी तो फिर उसने सोचा कि जब मुंह से अचानक नलखेड़ा निकल गया है तो एक बार प्रसिद्ध माता के दर्शन कर लेना चाहिए। उसके बाद कोमल सीधे नलखेड़ा पहुंच गई और मां के दर्शन के बाद मां की भक्ति में ऐसी रमी की नवरात्र के 9 दिनों के लिए वहीं रुक गई।
नवरात्रि के 9 दिनों से कोमल मंदिर परिसर में भक्ति और सेवा करती हुई दिखाई दी। वह अखंड ज्योत जलाकर घंटों माता का ध्यान और पूजन करती रही। बाकी समय मंदिर परिसर में चल रहे विशाल भंडारे में भोजन परोसने में अपनी सेवाएं दे रही है। पहली बार नलखेड़ा पहुंची कोमल के अनुसार मां के दर्शन के बाद उसे जो अलौकिक अनुभव हुआ उसे वह शब्दों में बता नहीं सकती। अब वह हमेशा समय मिलने पर मंदिर में दर्शन के लिए आती रहेगी।