राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: यह सर्वे बढ़ा सकता है ‘सरकार’ की परेशानी
अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश को लेकर जो सर्वे करवा रहा है, वह फिलहाल तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। एक दौर का सर्वे पूरा होने के बाद इन दिनों दूसरे दौर का सर्वे चल रहा है।
जो फीडबैक सामने आ रहा है, उससे दो बातें तो बहुत साफ है, पहला यह कि नौकरशाही पूरी तरह हावी है और सरकार जो निर्णय लेती है, उनमें से कई अमल में आ ही नहीं पाते हैं। दूसरी बात यह है कि भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है और मंत्रियों व संगठन के दिग्गजों की इसमें लिप्तता पार्टी को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है।
…तो फिर इन दिग्गजों का क्या होगा?
अनेक बार सत्ता का सुख देख चुके अंतरसिंह आर्य, रंजना बघेल और पारस जैन जैसे भाजपा के दिग्गजों का इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या हश्र होगा, यह एक बड़ा सवाल है। जैन तो अभी विधायक हैं और सालों तक मंत्री भी रहे हैं।
भाजपा ने उनके स्थान पर उज्जैन उत्तर में टिकट के लिए दूसरे नेता की तलाश शुरू कर दी है। आर्य और बघेल 2018 का चुनाव हारने के बाद अपनी वापसी के लिए फिर संघर्षरत हैं, लेकिन इन्हें भी इस बार मौका मिलता नहीं दिखता। सेंधवा और मनावर जहां से ये दोनों नेता पिछला चुनाव हारे, वहां पर पार्टी ने नए नामों पर निगाहें दौड़ाना शुरू कर दिया है।
बाबा रामदेव और वेदप्रकाश, गजब का तालमेल
प्रभात झा जब भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे, तब वेदप्रकाश की तूती बोलती थी। झा के प्रियपात्र होने के कारण उन्हें कई महत्वपूर्ण पदस्थापना भी मिली, पर बाद में नुकसान भी उठाना पड़ा।
सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद वेदप्रकाश को नए ठिए की तलाश थी। झा तो अब मदद कर नहीं सकते थे, इसलिए उन्होंने बाबा रामदेव का दामन थामा और इसी का नतीजा था कि उन्हें सरकार ने नई जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश योग आयोग का अध्यक्ष बना दिया। इसी से जुड़ी एक और मजेदार बात पिछले दिनों सीनियर आईपीएस अफसर वरुण कपूर जब हरिद्वार प्रवास के दौरान बाबा से सौजन्य भेंट के लिए पहुंचे तो अटकल शुरू हो गई कि यह मुलाकात भी कुछ पाने के लिए ही है।
कमलनाथ का बेफिक्र होना और जीतू पटवारी की परेशानी बढऩा
वैसे तो कमलनाथ पहले से ही निश्चिंत थे, पर रायपुर में कांग्रेस के महाधिवेशन के बाद वे और ज्यादा बेफिक्र हो गए हैं। जिस अंदाज में सोनिया और राहुल गांधी ने उन्हें हाथोंहाथ लिया और लंबी चर्चा की। उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के लिए तो कहने को कुछ बचा नहीं है।
इस संवाद और मेलमिलाप से सबसे ज्यादा परेशानी जीतू पटवारी की बढऩे वाली है। जो गाहे-बगाहे कभी वेणुगोपाल तो कभी जे.पी. अग्रवाल को साधकर कमलनाथ के लिए परेशानी खड़ी करते रहते हैं। वैसे विधानसभा से बाहर किए जाने के बाद पटवारी भी अब बैकफुट पर हैं और कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री कहने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं।
इस ‘लाडली बहना’ पर शिवराज की चुप्पी समझ से परे
लाडली लक्ष्मी के बाद अब शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना का मास्टर स्टॉक खेला है। यह माना जा रहा है कि 2023 के चुनाव में यह विनिंग स्ट्रोक भी हो सकता है।
पर इंदौर में पेट्रोल डालकर जिंदा जला दी गई एक फार्मेसी कॉलेज की प्राचार्य डॉ विमुक्ता शर्मा के मामले में जिस तरह की चुप्पी मुख्यमंत्री ने साधी उसने परिवार के साथ ही इंदौर के शिक्षा जगत और समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को आहत कर रखा है। उनका सवाल यही है कि आखिर इस बहना के मामले में मुख्यमंत्री इतने असंवेदनशील क्यों?
फैसला बीसीसीआई का और परेशानी एमपीसीए को
कई T 20, वनडे और टेस्ट मैच की मेजबानी कर चुके इंदौर के होल्कर स्टेडियम पर न जाने किसकी नजर लग गई। महज ढाई दिन में समाप्त हुए भारत ऑस्ट्रेलिया टेस्ट के बाद जिस तरह की उंगली इंदौर के पिच पर उठ रही है वह कईयों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है।
सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर किसके कहने पर एन वक्त पर टेस्ट के लिए पिच बदला गया। होम टीम के मनमाफिक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ग्राउंड टीम द्वारा लिया गया यह निर्णय फिलहाल तो एमपीसीए के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है।
चलते-चलते
एक यक्ष प्रश्न, यदि मालिनी गौड़ इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर हो गईं तो फिर मालासिंह ठाकुर और जूही भार्गव में से किसे मौका मिलेगा? दोनों ही चार नंबर विधानसभा क्षेत्र में बहुत सक्रिय हैं और बरास्ता संघ अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी हैं। हालांकि दोनों के तरीके अलग-अलग हैं।
पुछल्ला
भाजपा के राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव,मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष की मौजूदगी में जब प्रदेश के मंत्रियों से यह पूछा कि अपने प्रभार के जिलों के पांच-छ: कार्यकर्ताओं के मोबाइल नंबर बताओ तो ज्यादातर मंत्री बगले झांकने लगे। कुछ ने अपने मोबाइल खंगालना शुरू किए तो प्रभारी ने फटकार लगा दी। यह नजारा सीएम के लिए भी चौंकाने वाला था।
बात मीडिया की
दैनिक भास्कर में बड़ा बदलाव हुआ है। अवनीश जैन को मध्यप्रदेश से सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है। उनकी जगह सतीश सिंह दैनिक भास्कर मध्यप्रदेश के स्टेट एडीटर होंगे।
नईदुनिया इंदौर संस्करण में लगभग सभी रिपोटर्स की बीट बदल दी गई है। इस बदलाव से प्रभावित रिपोटर्स जरूर नाराज हैं, लेकिन अखबार में खबरें भी देखने को मिल रही है। स्टेट हेड सदुगुरुशरण अवस्थी को बहुत सोच-विचारकर यह निर्णय लेना पड़ा, जो फिलहाल तो अखबार के लिए फायदेमंद लग रहा है।
सॉफ्ट स्टोरीज के विशेषज्ञ शमी कुरैशी अब सिटी भास्कर के हेड की भूमिका में आ गए हैं। अभी तक अंकिता जोशी इस भूमिका में थी। इस बदलाव के बाद अंकिता का अगला कदम क्या होता है, इस पर सबकी निगाहें हैं।
दैनिक भास्कर में लंबे समय तक इंदौर में सेवाएं दे चुके वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु जोशी यूट्यूब चैनल और वेबपोर्टल एक्सपोज टुडे दिन-व-दिन लोकप्रिय होता जा रहा है। इनके यूट्यूब चैनल पर हर महीने करीब डेढ़ लाख व्यू आ रहे हैं।
डिजीइना टीवी में लंबे समय से सेवा दे रहे हो युवा पत्रकार निहारिका शर्मा और हैप्पी गुप्ता अब नई भूमिका में दिखेंगे। निहारिका IBC 24 की टीम का हिस्सा हो गई है और हैप्पी पत्रिका में रिपोर्टर की भूमिका में आ गए हैं।