डेंजर जोन’ के विधायक और पार्टी में ही दोहरी घेराबंदी
– मध्यप्रदेश में अपनी सत्ता बरकरार रखना भारतीय जनता पार्टी के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि भाजपा फूंक-फूंककर कदम रख रही है। चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आ रही है कि सत्ता में भाजपा की मौजूदगी और संगठन के पूरी ताकत झोकने के बाद दो साल पहले उपचुनाव जीतने वाले ज्यादातर विधायक जिनमें आधा दर्जन मंत्री और कई निगम और मंडल के अध्यक्ष शामिल हैं, इस बार डेंजर जोन में हैं।
इन्हें फिर मौका दिए जाने की स्थिति में पार्टी नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल, इन विधायकों का दोहरा विरोध हो रहा है। जिन भाजपा नेताओं को हराकर इन्होंने 2018 का चुनाव जीता था, वे तो मोर्चा खोलकर बैठे ही हैं, साथ ही इस बार जो टिकट के दावेदार हैं, वे भी निपटाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।
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आखिर क्यों नेतृत्व की पसंद नहीं बन पाए दिग्विजय
– दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल करने से ऐनवक्त पर पीछे हट गए। इसके पीछे जो कारण दिग्विजय ने दिया, उससे तो यही अहसास होता है कि पार्टी के एक निष्ठावान नेता के नाते उन्होंने यह कदम उठाया। हकीकत कुछ और ही है। दरअसल जैसे ही अध्यक्ष पद के लिए दिग्विजय सिंह की दावेदारी सामने आई, पार्टी के एक बड़े वर्ग ने कांग्रेस अध्यक्ष के सामने इस पर विरोध दर्ज करवा दिया।
उस समय जो स्थिति थी, उसमें दिग्विजय का जीतना भी तय था। इसी विरोध के बाद ‘नेतृत्व’ ने मल्लिकार्जुन खडग़े को इशारा किया और यह संदेश भी सामने आया कि खडग़े ही नेतृत्व की पसंद हैं। इतना इशारा ही काफी था और दिग्विजय ने बिना विलंब के नाम वापस ले लिया। मुद्दा यह भी है कि आखिर दिग्विजय नेतृत्व की पसंद क्यों नहीं बन पाए।
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ग्रीन मिडास से निकली चिट्ठी से भाजपा में मची हलचल
– अरेरा हिल्स पर बनी ग्रीन मिडास भोपाल की सबसे पॉश कालोनी में से एक है। इस कालोनी के रहवासियों के नाम से एक पत्र पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तक पहुंचाया गया। इस पत्र में कालोनी में रहने वाली एक भाजपा नेत्री के नाम का उल्लेख करते हुए कहा गया कि उक्त नेत्री के निवास पर हलचल रात 10 बजे बाद प्रारंभ होती हैं और तड़के तक चलती रहती है। यहां तक तो ठीक था, इसी पत्र में भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी और कुछ मंत्रियों का भी जिक्र है, जिनके बारे में कहा गया है कि वे भी यहां समय-समय पर आते रहते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि ग्रीन मिडास सोसायटी के नाम का उपयोग कर यह पत्र भाजपा के ही किसी शुभचिंतक ने आगे बढ़ाया है।
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दिग्गजों के बीच काम आने लगा है कमलनाथ का टोटका
– कमलनाथ की टेबल पर मध्यप्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति का आकलन आ चुका है। संभावना ठीक-ठाक ही बताई जा रही है और पूर्व मुख्यमंत्री एक बार फिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को लेकर आशान्वित हैं। जीत की सबसे ज्यादा संभावना वाले चेहरे भी चिह्नित किए जा रहे हैं। इस मामले में वे कोई समझौता करने के पक्ष में नहीं हैं।
इसी का नुकसान पार्टी के कुछ दिग्गजों को उठाना पड़ सकता है, जिनके बारे में यह फीडबैक मिला है कि इस बार उनके लिए राह बहुत कठिन है। इन क्षेत्रों में अब उनसे बेहतर विकल्प कांग्रेस के पास उपलब्ध है। मैदान में कमजोर पड़ रहे दिग्गजों को इशारा भी कर दिया गया है।
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शंकर लालवानी यानी बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
– इसे बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना ही कहा जाएगा। स्वच्छता के मामले में इंदौर के लगातार छठी बार देश में नंबर वन आने के बाद जो टीम महामहिम राष्ट्रपति से सम्मान लेनी पहुंची, उसकी अगुवाई सांसद शंकर लालवानी को करता देख सब चौंक पड़े। वह भी एक नहीं चार बार। उन्हें टीवी पर देखते ही लोगों की टिप्पणी यह थी कि इनका यहां क्या काम।
अब लोगों को कौन समझाए कि जब लालवानी इंदौर में ही फोटो या वीडियो का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, तो फिर राष्ट्रपति के सामने वे यह मौका कैसे छोड़ते। एक सवाल यह भी उठा है फोटो खिंचवाने में आगे रहने वाले लालवानी को यह जरूर बताना चाहिए कि इंदौर को नंबर वन पर लाने में उनकी भूमिका क्या रही है।
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सेल्फ ब्रांडिंग सीखना हो तो स्वप्निल कोठारी से मिलें
– सेल्फ ब्रांडिंग कैसे हो सकती है, यह सीखना हो तो स्वप्निल कोठारी की शरण में जाना चाहिए। पिछले दिनों द इन्टरैक्टिव स्टुडियो के बैनर तले हुआ एक डॉयलाग इसी का नतीजा था। इस संवाद में कोठारी के सामने इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव थे। शहर के कुछ और फोरम भी इस सेल्फ ब्रांडिंग में भागीदार हैं। इसका नतीजा आने वाले समय में देखने को मिलेगा। एक जमाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खासमखास रहे कोठारी अब कमलनाथ के खास सिपहासालारों में एक हैं। उनकी नजर पांच नंबर विधानसभा पर है और यहां से टिकट पाने के लिए वे कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।
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कद के मुताबिक ही है आकाश त्रिपाठी की नई भूमिका
– मध्यप्रदेश कॉडर के बेहद काबिल और योग्य अधिकारी, इंदौर में नगर निगम कमिश्नर, कलेक्टर, बिजली कंपनी के एमडी और संभागायुक्त रह चुके आकाश त्रिपाठी ने भी आखिरकार दिल्ली के लिए रवानगी ले ही ली। त्रिपाठी की गिनती उन अफसरों में होती है, जिन्होंने जिस पद पर भी रहे उसे एक नई ऊंचाई प्रदान की। दिल्ली की नई भूमिका भी उनके कद के मुताबिक ही है, लेकिन पिछले कुछ समय से मध्यप्रदेश में क्यों उनकी अनदेखी हो रही थी, यह भी एक बड़ा मुद्दा है।
चलते-चलते
राज्यपाल मंगूभाई पटेल इन दिनों आदिवासी जिलों के कामकाज पर नजर रखे हुए हैं और लगातार समीक्षा भी कर रहे हैं। उनके इस एजेंडे में झाबुआ जिला सबसे ऊपर है। इस जिले में एसपी पद पर तमाम अनुशंसाओं को दरकिनार कर राज्यपाल के एडीसी रहे अगम जैन की नियुक्ति को महामहिम की पसंद का ही नतीजा बताया जा रहा है।
एक ही विधानसभा क्षेत्र से टिकट के दावेदार माने जा रहे दो नेताओं जीतू पटवारी और जीतू जिराती ने ताल ठोक दी है। लक्ष्य और सादगी संस्थाओं के बैनर तले दोनों नेता पूरे दमखम के साथ नवरात्र महोत्सव के दौरान मैदान में दिखे और इस बात में पूरी ताकत लगा दी कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके आयोजन में उपस्थिति दर्ज करवाएं। इससे इतर, हिंदरक्षक के गरबों में मालिनी गौड़ की अनदेखी भी एक दूसरा पहलू है।
पुछल्ला
भोपाल के संभागायुक्त गुलशन बामरा का लगातार अवकाश पर रहना किसी को समझ में नहीं आ रहा है। यह भी समझना मुश्किल है कि इस महत्वपूर्ण पद पर सरकार किसी दूसरे नाम पर विचार करने से परहेज भी क्यों कर रही है। वैसे बड़े साहब की सेवानिवृत्ति की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, कई अफसर राम-राम करते समय काट रहे हैं।
अब बात मीडिया की
नईदुनिया इंदौर से दो बड़े विकेट डाउन होने के बाद स्टेट एडिटर सदगुरुशरण अवस्थी एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। अवस्थी जिस अंदाज में मार्निंग मीटिंग में अपने स्टॉफ से पेश आते हैं, वह संस्थान के लिए बड़ी परेशानी का कारण हैं। अवस्थी के बोलवचन इन दिनों मीडिया जगत में चर्चा में हैं।
लंबे समय तक नईदुनिया इंदौर के संपादक रहे और फिर स्टेट एडिटर की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ पत्रकार आशीष व्यास पत्रिका से अपनी नई पारी शुरू कर रहे हैं। श्री व्यास अब पत्रिका में मध्यप्रदेश के रीजनल हेड की भूमिका में नजर आएंगे। नईदुनिया अधिग्रहित करने के बाद दैनिक जागरण समूह ने सबसे पहले म.प्र. और छत्तीसगढ़ के रीजनल नेटवर्क पर फोकस किया था, उस प्रोजेक्ट को भी श्री व्यास ने ही हेड किया था।
दैनिक भास्कर के प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन अभिव्यक्ति गरबा महोत्सव में इस बार हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता जिस अंदाज में पेश आए वह समझ से परे है। इन कार्यकर्ताओं के तेवर चौंकाने वाले थे और व्यवस्था में लोग इनके सामने असहाय थे।
दैनिक सत्तावादी के नाम से एक और नया अखबार मार्केट में आ गया है। इसकी अगुवाई रजत राठौर के नेतृत्व में एक बिल्कुल नई टीम कर रही है।