Silver Screen: तीन किरदार (Three Characters), एक नायक दर्शकों की पसंद नहीं बना!

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Silver Screen: तीन किरदार (Three Characters), एक नायक दर्शकों की पसंद नहीं बना!

फिल्म के नायकों का सोच बेहद असुरक्षित होता है। वे जैसे-जैसे दर्शकों की नजरों में चढ़ते जाते हैं, उनका असुरक्षा बोध बढ़ता जाता है! उन्हें हर दूसरे कलाकार से इसलिए भय लगता है कि कहीं कोई उनसे आगे न निकल जाए! फिर वो साइड हीरो या कैरेक्टर एक्टर ही क्यों न हो! फिल्मकारों ने नायकों को इस असुरक्षा बोध से बाहर निकालने का एक रास्ता निकाला और उन्हें पहले डबल रोल में लिया, ताकि वे नायक के अलावा भी किरदार निभाए! बाद में तो यही नायक तीन-तीन किरदारों में नजर आने लगे! यानी पूरी फिल्म के हर प्रमुख किरदार में एक ही कलाकार नजर आने लगा। फिर वो किरदार कोई भी क्यों न हो! लेकिन, एक ही कलाकार को तीन किरदारों में देखना दर्शकों के लिए आसान नहीं होता! यही कारण है कि ऐसी ज्यादातर फिल्मों को दर्शकों ने नकार दिया। डबल रोल में जरूर फ़िल्में हिट हुई, पर ट्रिपल रोल वाली फ़िल्में दर्शकों के गले नहीं उतरी! इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़ दिया जाए, तो ज्यादातर फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप ही हुई!

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दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन जैसे अपने समय काल के महान समझे जाने वाले कलाकारों ने भी फिल्म में तीन किरदार निभाए, पर ऐसी फिल्मों ने पानी भी नहीं मांगा! जबकि, ये दोनों कलाकार अपने विविधता पूर्ण अभिनय के लिए ही दर्शकों में पहचाने जाते रहे हैं। फिल्मकारों को लगा होगा कि एक ही दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन फिल्म का बेड़ा पार लगा देते हैं, तो इनके तीन-तीन किरदार तो आसमान फाड़ देंगे! लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। फिल्मों में कुछ और चर्चित कलाकारों ने भी तीन किरदार निभाए। इनमें साऊथ की फिल्मों के महानायक रजनीकांत और कमल हासन के अलावा धर्मेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती, रितिक रोशन, महमूद, आईएस जौहर, देवेन वर्मा, परेश रावल और जॉनी लीवर भी शामिल हैं।

ऐसा नहीं कि तीन रोल वाली भूमिकाएं नए ज़माने की देन है। ऐसे प्रयोग तो बरसों पहले शुरू हो गए थे। हिंदी फिल्मों में क्रूर सास की भूमिका निभाने वाली ललिता पवार ने तो 1932 में आई मूक फिल्म ‘कैलाश’ में तिहरी भूमिका निभाई थी। जबकि, दिलीप कुमार की बतौर नायक 1976 में आई आखिरी फिल्म ‘बैराग’ थी। मुशीर रियाज की इस फिल्म में दिलीप कुमार की तिहरी भूमिका थी। ‘बैराग’ में वे कैलाश, भोलेनाथ और संजय के रोल में थे। लेकिन, यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई! इस फिल्म की असफलता वे इतना टूट गए थे, कि 5 साल तक उनकी कोई फिल्म नहीं आई! 1983 में अमिताभ बच्चन ने भी ‘महान’ में तीन किरदार निभाए! फिल्म में उन्होंने पिता और दो बेटों की भूमिकाएं की थी! फिल्म की कहानी ऐसे वकील पर आधारित थी, जो हत्या के झूठे केस में फंसने के बाद फरार हो जाता है। लेकिन, एक अमिताभ का जादू चलता रहा, वो कमाल तीन अमिताभ मिलकर भी नहीं कर सके थे!

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इसके साल भर बाद 1984 में आई फिल्म ‘जॉन जानी जनार्दन’ में रजनीकांत ने तिहरी भूमिका की, पर दर्शकों ने इस फिल्म को भी नापसंद कर दिया। यह फिल्म 1982 की सुपरहिट तमिल फिल्म ‘मूनरु मुगम’ का हिंदी रीमेक थी। इससे पहले 1970 में महमूद ने ‘हमजोली’ में तीन किरदारों से दर्शकों का मनोरंजन किया था। इसमें एक भूमिका महिला की भी थी। महमूद की यह फिल्म तमिल में बनी ‘पन्नाकारा कुटुम्बम’ (1964) का रीमेक थी। इसी साल (1970) आई देव आनंद की फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ में आईएस जौहर ने तीन भाइयों की भूमिका अकेले निभाई थी। महमूद और आईएस जौहर से प्रेरित होकर देवेन वर्मा ने भी 1978 में फिल्म ‘बेशर्म’ में ऐसी ही तिहरी भूमिका निभाई, पर वे किरदार में जीवंतता नहीं ला सके थे।

तिहरी भूमिका में दर्शकों को सिर्फ कमल हासन ही लुभाने में कामयाब रहे थे। उन्होंने 1989 में ‘अप्पू राजा’ में ऐसे ही तीन रोल निभाकर दर्शकों को रोमांचित किया। इसमें कमल हासन ने पिता और दो पुत्रों का किरदार निभाया! इस फिल्म की सबसे खास बात थी एक बेटे का बौना होना! इस बौने के किरदार ने दर्शकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया था। 1996 में शाहरुख खान का अलग ही जलवा था। उनकी हर फिल्म कामयाबी की ऊंचाई छूती थी! लेकिन तीन रोल वाली उनकी फिल्म ‘इंग्लिश बाबू देसी मेम’ सुपर फ्लॉप साबित हुई। यह फिल्म दो भाईयों की कहानी पर बनी थी, जिसमें एक पैसे के पीछे भागने वाला होता है, दूसरा सुकून भरा जीवन जीने के लिए लंदन से भारत आ जाता है। वह भारत आकर शादी करता है, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद उसकी मौत हो जाती है। फिल्म में शाहरुख ने पिता गोपाल मयूर और उसके दोनों जुड़वा बेटों विक्रम और हरी के तीन किरदार निभाए थे, पर बात यहां भी नहीं बनी। एक शाहरुख़ का जो जलवा था, वो तीन किरदार नहीं बिखेर सके।

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मिथुन चक्रवर्ती ने भी ‘रंगबाज’ (1996) में तीन रोल किए थे। उस समय इस फिल्म को ‘त्रिदेव’ का पैरोडी वर्जन कहा गया था। इसकी कहानी ‘त्रिदेव’ से काफी मिलती-जुलती भी थी। फिल्म में मिथुन ने इंस्पेक्टर कुंदन का किरदार निभाया था। मिथुन ने ही हमेशा खुश रहने वाले किशन और गांव में रहकर लोगों की मदद करने वाले बनारसी का भी रोल किया था। रितिक रोशन ने ‘कृष-3’ में ट्रिपल रोल किए, जिसमें उनके कृष्णा मेहरा, क्रश रोहित मेहरा के किरदार भी शामिल थे। साजिद खान की निर्देशित ‘हमशक्ल’ (2014) एक कॉमेडी फिल्म थी, जिसमे सैफ अली खान, रितेश देशमुख, तमन्ना भाटिया, ईशा गुप्ता, चंकी पांडे और बिपाशा बसु मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म की कहानी पागलखाने से भागे दो दोस्तों और उनके हमशक्लों पर आधारित थी। इस फिल्म में सैफ अली खान, रितेश देशमुख के अलावा राम कपूर ने भी ट्रिपल रोल किए थे। फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ में जॉन अब्राहम ने जुड़वां भाइयों के किरदार निभाए जिनके नाम जय और सत्य थे। साथ ही उन्होंने इन जुड़वां के पिता दादा साहब बलराम आजाद का भी रोल किया।

एक से अधिक पात्रों की भूमिका निभाने में संजीव कुमार का कोई मुकाबला नहीं है जिन्होंने फिल्म ‘नया दिन नई रात’ में नौ पात्रों की जानदार भूमिका निभाई थी। यह तमिल फिल्म ‘नवरात्रि’ की रिमेक थी, जिसमें शिवाजी गणेशन ने नौ भूमिकाओं में प्राण फूंके थे। फिल्म ‘वो मैं नहीं’ में नवीन निश्चल ने भी पांच अलग-अलग किरदार निभाए थे। यह मराठी फिल्म ‘तो मी नव्हे च’ पर आधारित थी, जिसमें प्रभाकर पणशीकर ने कुख्यात अपराधी माधव काजी की भूमिका निभाई थी, जो अलग भेष धरकर महिलाओं को फंसाया करता था।

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सिर्फ नायक ही नहीं कैरेक्टर रोल और कॉमेडी रोल वाले कलाकारों ने भी तिहरी भूमिकाएं की है। फिल्म ‘ओए लक्की लक्की ओए’ में परेश रावल ने तीन भूमिकाएं की थी! पहले फिल्म में परेश रावल सिर्फ गोगी के रोल के लिए थे। मगर बाद में निर्देशक के कहने पर उन्होंने डॉ हांडा की भूमिका निभाई और अंत में लक्की के पिता का भी किरदार भी परेश रावल ने ही किया। जानी लीवर ने ‘अचानक’ में तिहरी भूमिका निभाकर दर्शकों को लुभाया था! हीमैन धर्मेंद्र ने भी ‘जियो शान से’ में सुनील दत्त ने ‘मिलन’ में तीन भूमिकाएं की थी। एक समय सबसे हिट अभिनेता रहे गोविंदा के लिए पहलाज निहलानी ने फिल्म ‘राजू रंगीला’ की तैयारी की है, जिसमें गोविंदा ट्रिपल रोल करेंगे। गोविंदा और पहलाज निहलानी दो दशक बाद साथ काम कर रहे हैं। इन दोनों की साथ में आखिरी फिल्म फिल्म ‘आँखें’ थी, जो 1993 में रिलीज हुई। ‘राजू रंगीला’ के बारे में कहा गया कि इसमें गोविंदा ट्रिपल रोल में दिखेंगे और उनके साथ तीन नई हीरोइन होंगी। सलमान खान भी अनीस बज्मी के साथ फिल्म ‘नो एंट्री’ का सीक्वल करने वाले हैं। फिल्म का नाम ‘नो एंट्री में एंट्री’ रखा गया है, जिसमें सलमान तीन किरदार निभाते दिखाई देंगे। सलमान के अलावा अनिल कपूर और फरदीन खान भी इस फिल्म ऐसी ही तिहरी भूमिका में होंगे। इन सभी के साथ 9 किरदारों के लिए अलग-अलग अभिनेत्रियां भी होंगी। अक्षय कुमार की भी एक अनाम फिल्म की घोषणा हुई, जिसमें वे तीन अलग-अलग रोल निभाएंगे! लेकिन, घोषणा के बाद से फिल्म से जुड़ी कोई खबर बाहर नहीं आई!

सिर्फ अभिनेताओं ने ही ट्रिपल रोल निभाए हैं, ऐसा नहीं! सिनेमा की दुनिया में कुछ अभिनेत्रियां भी हैं, जिन्होंने एक ही फिल्म में तीन-तीन किरदारों की भूमिकाएं की। ऐसी भूमिकाओं की शुरुआत का श्रेय ही मूक फिल्मों की नायिका ललिता पवार के खाते में जाता है। इसके अलावा नूतन ने ‘मिलन’ में और ‘मधुमती’ में वैजयंती माला ने भी तिहरी भूमिका निभाई थी। ये बात अलग है कि नायिकाओं के किरदार अलग-अलग जन्मों तक फैले थे। जबकि, प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म ‘व्हाट्स योर राशि’ में डबल या फिर ट्रिपल नहीं बल्कि बारह किरदारों को एक साथ निभाया। पर, आज कोई इस फिल्म का नाम तक नहीं जानता! इस फिल्म में प्रियंका को फिल्म में संजना, अंजलि, रजनी, काजल, हनसा, चंद्रिका, भावना, नंदिनी, मल्लिका, विशाखा, झंखना और पूजा के रोल में देखा गया था। फिल्म निर्माताओं ने ऐसे किरदारों में नायिकाओं को ज्यादा मौका नहीं दिया! यही कारण है कि फिल्मों का ये कोना अभी सूखा है!