आज आंखमऊ की माटी में मिल जाएगा प्रदेश की माटी का सपूत…

आज आंखमऊ की माटी में मिल जाएगा प्रदेश की माटी का सपूत…

शरद यादव वह समाजवादी चेहरा है जो भारत की राजनीति में हमेशा याद किया जाएगा। उसूलों की राजनीति पर कदम चलते रहे और मध्यप्रदेश की माटी का यह सपूत पूरे देश में अपनी चमक बिखेरता रहा। नई पीढ़ी को तो यह याद भी नहीं कि शरद यादव मध्यप्रदेश की माटी के लाल हैं। समाजवाद की ऐसी धुन कि जहां पहुंच गए, वहीं के लोगों में घुल मिल गए। 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम यानि होशंगाबाद जिले की बाबई यानि माखनलाल नगर तहसील के आंखमऊ गांव में जन्मे शरद यादव ने 12 जनवरी 2023 को राजधानी दिल्ली में अंतिम सांस ली। उम्र तो 75 साल ही थी, लेकिन पिछली बार जब मेरी मुलाकात उनसे भोपाल में वीआईपी गेस्ट हाउस में हुई थी… तब उनके मनोभाव कुछ यही थे कि राजनीति से मन भर गया है। वह देश की राजनीतिक पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उन्होंने बिहार प्रदेश के मधेपुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार लोक सभा का प्रतिनिधित्व किया था, दो बार मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद चुने गये थे, एक बार उत्तर प्रदेश के बदायूं से लोकसभा के लिए चुने गए। तो तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे। शरद यादव संभवतः भारत के पहले ऐसे राजनेता हैं जो तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा के सदस्य के लिए चुने गए थे।

शरद यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे, परन्तु उनकी पार्टी द्वारा गठबंधन से सम्बन्ध विच्छेद कर लेने के कारण उन्होंने संयोजक पद से त्याग पत्र दे दिया। राजनीतिक गठजोड़ के माहिर खिलाड़ी शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु माना जाता है।

शरद यादव ने जबलपुर विश्वविद्यालय से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी और धीरे-धीरे वो राष्ट्रीय राजनीति में आए। जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई करने वाले शरद यादव जब तक राजनीति में सक्रिय थे, तब तक उन्होंने अपने विचारों से भारतीय राजनीति को प्रभावित किया। उनके जाने से एक युग की समाप्ति हुई है। पांच दशक लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने हमेशा जनता के मुद्दे और पिछड़ों के मुद्दे उठाए। समाजवादी पार्टी के मूल सिद्धांतों को अंतिम सांस तक वे आगे लेकर चलते रहे। आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ कर जो नेतृत्व निकला, उसमें शरद यादव प्रमुख नेता थे। शरद यादव एक प्रखर समाजवादी नेता थे। बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा 2013 में भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला करने के पहले वह भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई। उन्होंने 2022 में अपनी पार्टी का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया था। शरद यादव यादव 1989 में वीपी सिंह नीत सरकार में मंत्री थे। उन्होंने 90 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव को एक समय उनका समर्थन प्राप्त था। तो कभी उन्हें चुनावी मात भी दी थी। शरद यादव 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए थे। वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे। सार्वजनिक जीवन में अपने लंबे वर्षों में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से बहुत प्रेरित थे।

शरद यादव का पार्थिव शरीर मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव आज यानि 14 जनवरी 2023 को लाया जाएगा। जहां आंखमऊ गांव की माटी में पला-बढ़ा यह सपूत देश-दुनिया में अपनी चमक बिखेरकर वापस लौटकर अपने गांव की माटी में मिल जाएगा। हमेशा हमेशा के लिए पैतृक गांव की माटी में सुकून से सो जाएगा।

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कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।