Strange Love Story : पति ने मौत से पहले चुनी कब्र की जगह, पत्नी भी वहीं दफन!

आज भी प्रेमी जोड़े अपने प्रेम की सफलता के लिए उनकी कब्र पर झुकते हैं!

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मंगलवार को दुनियाभर के साथ भारत में भी वैलेंटाइन डे मनाया गया। ये दिन दो प्यार करने वालों के लिए होता है। प्रेमी इस दिन प्यार का इज़हार भी करते हैं। ये कहानी दो प्यार करने वालों की कहानी है। यह प्रेम कहानी जिला सिरमौर के नाहन में पूरी हुई थी। प्रेमी जोड़े अक्सर साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं। इस सच्ची कहानी के दो असल किरदारों ने भी ऐसी ही कसम खाई थी। लेकिन, साथ मरने का वादा पूरा नहीं हो सका! लेकिन, लड़की ने मरने के बाद उसी जगह पर अपनी कब्र बनवाई, जहां उसके प्रेमी को दफन किया गया था।

सिरमौर रियासत या सिर्मूर रियासत भारत में ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी। इसकी स्थापना सन् 1616 में आधुनिक हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले के भूभाग में हुई थी। इसकी राजधानी व मुख्य नगर नाहन था, इसलिए इसे नाहन रियासत भी कहा जाता था।

ये बात उस समय की है, जब सिरमौर रियासत काल में एक अंग्रेजी अफसर सिरमौर के राजा के पास चीफ मेडिकल ऑफिसर के तौर पर काम करते थे। लूसिया अपने पति डॉ इडविन पियरसाल के साथ हिमाचल प्रदेश के नाहन शहर में आई थीं। डॉ पियरसाल ने राजा के पास 11 साल तक सेवाएं दीं। अपने सेवाकाल के दौरान ही 19 नवंबर 1883 को 50 साल की उम्र में ही उनकी मौत हो गई।

ऐतिहासिक सैरगाह विला राउंड में दफनाया

जब डॉ पियरसाल की मृत्यु हुई, उस समय उनकी पत्नी लूसिया की उम्र 49 साल थी। सिरमौर के महाराजा ने डॉ पियरसाल की मौत के बाद उन्हें मिलिटरी ऑनर के साथ ऐतिहासिक सैरगाह विला राउंड के उत्तरी हिस्से में दफन करवाया। यह जगह पियरसाल ने अपनी मौत से पहले खुद ही चुनी थी। उन्होंने अपनी मौत के बाद इसी जगह पर दफन होने की इच्छा जाहिर की।

इंग्लैंड वापस नहीं गई लूसिया

लूसिया पति डॉ पियरसाल से बेपनाह मोहब्बत करती थीं। डॉ पियरसाल की तरह लूसिया भी रहम दिल और रियासत में लोकप्रिय महिला के तौर पर विख्यात थीं। पति की मौत के बाद लूसिया ने इंग्लैंड वापस न जाकर नाहन में ही रहने का फैसला किया। लूसिया अपने पति से बहुत प्यार करती थी. पति की मृत्यु के बाद लूसिया ने भी अपने पति के बगल की कब्र में दफन होने की अंतिम इच्छा जाहिर की।

38 साल तक इंतजार किया

अपने पति की कब्र के बगल में दफन होने के लिए लूसिया ने 38 साल तक लंबा इंतजार किया। 19 अक्तूबर 1921 को लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और वो भी अपने पति को याद करते-करते दुनिया को अलविदा कह गईं। लूसिया की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए महाराजा ने उन्हें सम्मान के साथ उनके पति डॉ पियरसाल की कब्र के बगल में दफन करवाया।

आज भी कैथोलिक कब्रगाह जाते हैं प्रेमी

अभी भी वैलेंटाइन डे के मौके पर लोग विला राउंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह जाते हैं। पियरसाल दंपत्ति की अमर प्रेम की कहानी को बयां करने वाली वास्तुकला से परिपूर्ण कब्रें आने-जाने वालों लोगों को आकर्षित भी करती हैं।

नाहन के निर्माण में डॉ पियरसाल का भी योगदान

डॉ पियरसाल सिरमौर रियासत काल में चीफ मेडिकल ऑफिसर के साथ-साथ नाहन नगर परिषद के अध्यक्ष भी थे। नाहन में अंडरग्राउंड ड्रेनेज का आइडिया भी डॉ पियरसाल ने ही दिया था। शहर में कई बेहतरीन कार्यों के लिए आज भी उनकी याद किया जाता है।