राजस्थान को लेकर बीजेपी ले सकती है बड़ा फैसला?

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राजस्थान को लेकर बीजेपी ले सकती है बड़ा फैसला?

गोपेंद्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट

नई दिल्ली।भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक अपनी प्रदेश इलेक्शन कैम्पन कमेटी घोषित नही की है ।राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान को लेकर निर्णय लेने में विलम्ब क्यों कर रहा है? यह पहेली अभी सुलझीं नहीं है।हालाँकि पार्टी के प्रदेश प्रभारी ने कहा है कि प्रदेश इलेक्शन कैम्पन कमेटी में राजस्थान के सभी बड़े नेताओं को शामिल किया जायेगा।

बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान के बारे में एक साथ निर्णय करने की कोशिश में जुटा हुआ है। राजनीतिक पण्डितों का आकलन है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति काँग्रेस के मुक़ाबलें कमजोर है ।वहीं मध्य प्रदेश में फ़िलहाल बराबरी का मुक़ाबला बताया जा रहा है लेकिन राजस्थान में जहाँ हर पाँच वर्ष में सरकार बदलने की परम्परा है वहाँ इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा एक के बाद एक नई घोषणाओं के कारण मुक़ाबला बहुत कड़ा हों गया है लेकिन प्रदेश भाजपा में गहलोत का सामना करने वाले बड़े कद का कोई बड़ा नेता नही है ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राजस्थान के मामलों को सीधा देखने के बाद भाजपा नेताओं और जोश काफ़ी बढ़ गया है । जहाँ तक दो बार प्रदेश का मुख्यमंत्री रही वसुन्धरा राजे का सवाल है वे प्रधानमंत्री की हर सभा में मौजूद रहती है। एक समय था जब राजे केन्द्र की राजनीति से राजस्थान आना ही नहीं चाहती थी लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री और पिता तुल्य भैरों सिंह शेखावत के आग्रह के कारण वे प्रदेश की राजनीति में आई और राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री बनने के बाद यहाँ ऐसी रची बसी की अब केन्द्र की राजनीति में वापस लौटना नही चाहती अन्यथा उनकी वरिष्ठता को देखते हुए वे 2014 से अब तक नरेन्द्र मोदी के मंत्रिपरिषद का अभिन्न हिस्सा होतीं।

प्रदेश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान के बारे में जल्दबाजी में कोई निर्णय करने की बजाय सोच समझकर कर ही कोई फैसला करना चाहता है। भाजपा ने हाल ही छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को लेकर कतिपय निर्णय किए लेकिन बताया जा रहा है कि वसुन्धरा राजे की राजस्थान में भावी भूमिका के सम्बन्ध में उच्च स्तर पर बातचीत का दौर जारी है। समय की नाजुकता को देखते हुए पार्टी द्वारा संतुलन बनाने की कोशिश भी की जा रही है।
पिछलें दिनों राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी संतोष की मौजूदगी में सवाई माधोपुर के चिंतन शिविर में यह निर्णय लिया गया था कि राजस्थान में दो सितम्बर से तीन चार धार्मिक स्थलों से परिवर्तन यात्राएं निकाली जाएगी। भाजपा कोर कमेटी ने प्रारंभिक तौर पर इसका रोड मैप तैयार किया है।

राजस्थान में भाजपा के पक्ष ने माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछलें नौ महीनों में प्रदेश की आठ यात्रायें कर चुके है।अबकी बार उन्हें इन परिवर्तन यात्राएं के समापन पर 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म स्थली जयपुर जिले के धानकिया क़स्बे में एक विशाल जनसभा कराई जानी है लेकिन इससे पहले परिवर्तन यात्रा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को राजस्थान लाने की तैयारियां भी की जा रही है।

यें परिवर्तन यात्राएं राजस्थान के उत्तर में गोगा मेडी मंदिर (हनुमानगढ़), दक्षिण में बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर), पूर्व में त्रिनेत्र गणेश मंदिर (सवाई माधोपुर) और पश्चिम में रामदेवरा (जैसलमेर) से शुरू करने का प्रस्ताव है ।  इन परिवर्तन यात्राओं की  जिम्मेदारी भाजपा के प्रदेश को सौंपने पर विचार किया गया है !

भाजपा  के शीर्ष केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा के विधायकों और सांसदों को राजस्थान में भाजपा का पक्ष में ताजा माहौल की जानकारी लेने के लिए प्रत्येक विधानसभा  क्षेत्र में  उन्हें भेजने का फैसला भी किया है। इन विधायकों और सांसदों को कहा जा रहा है कि वे उन्हें आवंटित विधानसभा क्षेत्र में जाकर पार्टी की वास्तविक स्थिति जानकारी लें और केंद्रीय नेतृत्व तक ईमानदारी के साथ  उस रिपोर्ट को पहुंचाएं जिससे कि पार्टी समय रहते उम्मीदवारों की घोषणा कर सकें।

भाजपा की मौजूदा स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वसुंधरा राजे के भविष्य को लेकर शीर्ष नेतृत्व द्वारा क्या निर्णय किया जाएगा ? इसपर सभी की नज़रें है। मामला पेचीदा है ऐसे में फिलहाल कोई भी नेता इस पर बोलने के लिए तैयार नहीं है।

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रभारी अरुण सिंह बार-बार दावा कर रहे हैं कि हम राजस्थान में दो तिहाई बहुमत लाकर सरकार बनाएंगे। प्रदेश में चुनावी गतिविधियां गति पकड़ रही है लेकिन यदि भाजपा प्रदेश सम्बन्धी निर्णयों को अधिक समय तक टालने की कोशिश करेंगी तों यह पार्टी के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा कर सकती है क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर रीज़ कोई न कोई नई घोषणा कर रहें है।ऐसे में यदि राजस्थान के बारे में भाजपा को समय रहते उपयुक्त निर्णय लेना जरूरी है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान को लेकर चिंतित और गंभीर है क्योंकि विधान सभा चुनाव परिणाम का असर भविष्य में लोकसभा चुनाव पर भी पड़ने वाला है। अब केंद्रीय नेतृत्व के पास बहुत कम समय है ऐसे में लगता हैकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा आने वाले सप्ताह में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।