Isha Foundation Case : सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जांच रोकी, कहा कि पुलिस आगे कोई जांच न करे!

फाउंडेशन पर एक पिता ने दो बेटियों को बंधक बनाने का आरोप लगाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना!

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Isha Foundation Case : सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जांच रोकी, कहा कि पुलिस आगे कोई जांच न करे!

New Delhi : ईशा फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने उनकी दो बेटियों को जबरन बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाते हुए मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। आरोप था कि आश्रम में उनकी बेटियों लता और गीता को बंधक बनाकर रखा गया है। हाई कोर्ट के निर्देश पर 1 अक्टूबर को करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मी ईशा फाउंडेशन के आश्रम में जांच करने पहुंचे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी। ईशा फाउंडेशन के फाउंडर सद्गुरु जग्गी वासुदेव हैं।

मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करे। अगले दिन 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी आश्रम में जांच करने पहुंचे। सद्गुरु ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप सेना या पुलिस को ऐसी जगह दाखिल होने की इजाजत नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि दोनों लड़कियां 2009 में आश्रम में आई थीं। उस वक्त उनकी उम्र 24 और 27 साल थी। वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं। फैसले से पहले सीजेआई चंद्रचूड़ ने दोनों महिला संन्यासियों से अपने चेंबर में चर्चा भी की। इनमें से एक ने कहा कि दोनों ही बहनें अपनी मर्जी से ईशा योग फाउंडेशन में हैं। उनके पिता पिछले 8 सालों से परेशान कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता पिता का आरोप 

तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी कि मेरी बेटियों को बंधक बनाया ब्रेनवॉश किया। उन्होंने कहा था कि आश्रम ने उनकी बेटियों को बंधक बना लिया है। उन्हें तुरंत मुक्त कराया जाए। कामराज ने कहा है कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। कामराज ने कहा कि बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने, समझने की शक्ति खत्म हो गई। जब से बेटियों ने उन्हें छोड़ा है, उनका जीवन नर्क बन गया है।

कौन है दोनों युवतियां जिनके कारण विवाद हुआ

बड़ी बेटी गीता यूके की एक यूनिवर्सिटी से एमटेक है। उसे 2004 में उसी यूनिवर्सिटी में लगभग ₹1 लाख के वेतन पर नौकरी मिली थी। उसने 2008 में अपने तलाक के बाद ईशा फाउंडेशन में योग क्लासेज में भाग लेना शुरू किया। इसके बाद गीता की छोटी बहन लता भी उसके साथ ईशा फाउंडेशन में रहने लगी। दोनों बहनों ने अपना नाम बदल लिया और अब माता-पिता से मिलने से भी इनकार कर रही हैं।

हाईकोर्ट ने कहा था कि अपनी बेटियों की शादी करने वाला दूसरों को संन्यासी बना रहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने 30 अक्टूबर को कहा था कि जब आपने अपनी बेटी की शादी कर दी, तो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं।

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