कविता: मां की सिसकियां

553

11 मई मातृ -दिवस पर
________

मां की सिसकियां
_____

मैंने सपने में देखा
मेरी प्रथम पुण्य-तिथि के दिन
मेरा बड़ा बेटा
अपनी पत्नी के साथ
कार में
लांग ड्राइव पर
निकला हुआ है ।

छोटा बेटा
अपनी मंगेतर के साथ
पार्क में बैठकर
बतिया रहा है ।

मेरी पत्नी
दोनों बेटों के
आने की
निश्चिंत भाव से
प्रतीक्षा कर रही है ।

लेकिन मेरी मां
एक अंधेरे कमरे में
अकेली बैठकर
मुझे याद करते हुए
सिसकियां भर रही है ।

शायद उसे
मुझे जन्म देने से
मेरी मृत्यु तक का
एक – एक दिन
याद आ रहा था ।

शायद उसे
मेरे लौट आने की
उम्मीद भी थी ।

-सुनील चतुर्वेदी