शिव-विष्णु (Shiv Vishnu)और बूथ की हो रही जय-जयकार …

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शिव-विष्णु (Shiv Vishnu)और बूथ की हो रही जय-जयकार …
जो दावे किए जा रहे थे, जिस तरह से नाथ आक्रामक थे और हैलीकॉप्टर तैयार कर प्रशासन पर हमलावर थे…वैसा कुछ मतदाताओं के मन के बाहर नजर नहीं आया। बात ग्वालियर-जबलपुर की करें तो मेयर कांग्रेस का जीता, लेकिन परिषद भाजपा की बनने की तैयारी है। छिंदवाड़ा में मतदाता ने नाथ का साथ जरूर दिया। पर यह कांग्रेस नहीं, नाथ का पुरुषार्थ है। वहीं इस नगरीय निकाय चुनाव का लाइफ टाइम अचीवमेंट हासिल किया है, तो वह ‘आप’ ने। मध्यप्रदेश के ठीक पूर्व से छलांग लगाकर सिंगरौली के रास्ते केजरी ने कांग्रेस की वाल में सेंधमारी करने की जुगत बनाई है। इससे पहले भी ह्रदयप्रदेश में हाथ-पांव पटक-पटककर गोता लगाने का खूब जोर लगाया था, पर दाल नहीं गल पाई थी।
इस बार एक-चार की गार्ड की तरह सुरक्षा हासिल करने की कोशिश रंग लाई है। ‘रानी’ के जरिए दरवाजे पर दस्तक देकर मध्यप्रदेश में 2023 के रण में कांग्रेस का विकल्प बनने का सपना ‘आप’ के सेनापति देख रहे हैं। ठीक उसी तरह जैसे कांग्रेस को भरोसा है कि 15 माह बाद एक बार फिर नाथ के सिर पर ताज होगा। हालांकि इससे पहले 2020 में 28 विधानसभा उपचुनावों में से 9 ही कांग्रेस के हाथ आए थे, तो अब 11 नगर निगम में से तीन मेयर खुशी बढ़ा रहे हैं। आगे क्या होगा, यह आगे ही पता चलेगा। पर इन नगरीय निकाय चुनावों ने यह साफ कर दिया है कि कैडर बेस पार्टी का मुकाबला 21 वीं सदी में अब आसान नहीं रह गया। 20वीं सदी में शून्य से सफर पर निकली यह पार्टी अब शिखर पर है और फिलहाल तो यही लग रहा है कि इसका पीछे पलटकर देखने का मन नहीं है। नगरीय निकाय चुनावों के पहले चरण के परिणामों ने यह साफ कर दिया है कि शिवराज के नेतृत्व में सरकार की जनहितैषी योजनाओं से जनता नाखुश नहीं है।
तो भाजपा संगठन की मिसाल रहे मध्यप्रदेश ने भी यदि 20 वीं सदी में शून्य से कुशाभाऊ ठाकरे जैसे शिल्पी के हाथों ठोस नींव बनाकर यात्रा शुरू की थी। तो 21वीं सदी में विष्णुदत्त शर्मा जैसा कुशल संगठक निडर होकर नवाचारों संग लय-ताल कर संगठन को शिखर पर ले जाने का दम भर रहा है। बूथ जीतने के मंत्र में प्राण फूंककर कहीं न कहीं संगठन ने यही साबित करने का रिस्क लिया था। और साबित कर भी दिया। जहां दबी जुबान में यह कयास लग रहे थे कि राजधानी और आर्थिक राजधानी दोनों जगह स्थिति डांवाडोल हो सकती है और बाकी जगह की तो खैर नहीं। कमलनाथ के कैंडीडेट सभी जगह कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
शायद यही फीडबैक था, कि कांग्रेस ने मतगणना के लिए सीनियर लीडर्स को तैनात कर दिया था। तो खुद नाथ ने हैलीकॉप्टर तैयार कर प्रशासनिक मशीनरी को चेता दिया था कि सीनियर लीडर तो टक्कर लेगा ही और फिर भी गड़बड़ हुई, तो हवा में उड़कर मैं सीधा मतगणना स्थल पर हाहाकार मचाए बिना नहीं रहूंगा। तो एक दिन पहले विष्णु दत्त शर्मा ने चुटकी भी ली थी कि मतगणना तो बूथ के कार्यकर्ताओं का काम है, नाथ इसमें भी झूठ फरेब, तंत्र पर अविश्वास और इतना तामझाम करने में जुटे हैं। तो भरोसा भी जताया था कि बूथ के कार्यकर्ताओं ने प्राणप्रण से जो परिश्रम किया है, उसमें नेतृत्व भी खरा उतरेगा और बूथ भी जीतेगा। रविवार को नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण की मतगणना के बाद परिणामों ने शिव-विष्णु और बूथ के भरोसे पर मुहर लगा दी है।
भाजपा के 11 में से 7 मेयर जीत गए हैं तो पार्षदों पर दांव लगाएं तो भाजपा का सभी निकायों में बहुमत का दावा है। पूर्व में ‘आप’ की रानी ने सिंगरौली में, तो दक्षिण में ‘नाथ’ की नगरी छिंदवाड़ा ने आइना दिखाया है। तो महाकौशल और चंबल में दंगल फीका पड़ा है। पर 36 नगरपालिकाओं में से 27 में भाजपा को ऐतिहासिक बहुमत मिला है, जबकि कांग्रेस केवल 4 नगरपालिकाओं में जीती है। 86 नगर परिषदों में से 64 नगरपरिषदों में भी पार्टी को बहुमत मिला है, जबकि कांग्रेस को 8 नगरपरिषद में सफलता मिली है। यह आंकड़े साबित कर रहे हैं कि प्रदेश में जनमत भाजपा के साथ है। मोदी एवं शिवराज की गरीब कल्याण की योजनाओं का असर जनता मेें है। चुनाव में पार्टी के बूथ स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता और पार्टी के संगठन तंत्र की अथक मेहनत की बदौलत ही निकाय चुनाव में पार्टी बहुमत से जीतकर आई है। भाजपा को जनता का समर्थन और विश्वास झोली भरकर मिला है।
शिव-विष्णु का दावा है कि जिन नगरनिगमों में पार्टी नहीं जीती, वहां पार्टी के पार्षद प्रत्याशी बहुमत से विजयी हुए हैं। ऐतिहासिक बहुमत से जीत का भरोसा आगे भी पूरा होगा। ग्रामीण और नगरीय निकाय दोनों में भाजपा को इतना प्रचण्ड बहुमत पहले कभी नहीं मिला। तो नाथ के आरोपों पर विष्णुदत्त शर्मा ने पलटवार किया कि कांग्रेस जब भी हारती है तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेता अनर्गल बयानबाजी करने लगते हैं, हार के बहाने तलाशने लगते हैं। धनबल और बाहुबल का दुरुपयोग करना कांग्रेस का चरित्र रहा है और कमलनाथ ने जिस तरह से 15 महीनों की सरकार में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया है, प्रदेश की जनता ने उसे देखा है।
फिलहाल राजनीति में जोर-आजमाइश और आरोप-प्रत्यारोप की रस्म अदायगी तो चलती रहेगी। पर कांग्रेस को पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव परिणामों ने एक बार फिर आइना दिखाया है। छिंदवाड़ा नाथ के सम्मान को बरकरार रखे है, लेकिन समग्र परिणाम कांग्रेस के लिए उम्मीदों से भरे नजर नहीं आ रहे। ऐसे में धमाकेदार फाइनल जीतने के दावे भी नाउम्मीदी भरे हैं। दूसरी तरफ शिव-विष्णु और भाजपा ने साबित कर दिया है कि बूथ चाक-चौबंद है। इसीलिए पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण के परिणाम “शिव-विष्णु और बूथ” की मजबूती का हवाला दे रहे हैं। और अब तो उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट भी आ गया है कि मध्यप्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा पर विश्वास जताने के लिए सभी मतदाताओं का बहुत-बहुत आभार। यह जीत राज्य की शिवराज सिंह चौहान की सरकार में जनता जनार्दन के अटूट भरोसे का प्रतीक है। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सभी विजयी उम्मीदवारों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। तो अब तो साफ हो ही रहा है कि शिव-विष्णु और बूथ कार्यकर्ता सभी की जय-जयकार मध्यप्रदेश से दिल्ली तक हो रही है।